अंबानी-अडानी से आगे निकला ये किसान! जिसके पास थी खुद की ट्रैन, रेलवे की गलती से हुआ था ये कमाल

न टाटा न अंबानी! भारत का इकलौता ऐसा किसान जिसके पास थी खुद की ट्रैन, रेलवे की गलती से हुआ था ये कमाल, आपने बिल्कुल सही सुना है! भारत में एक ऐसा भी किसान रहा है जिसके पास खुद की ट्रेन थी। यह मामला काफी चर्चित हुआ था और यह रेलवे की एक गलती के कारण हुआ था।

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क्या हुआ था?

  • जमीन का अधिग्रहण: यह कहानी लुधियाना के एक किसान संपूर्ण सिंह से जुड़ी है। साल 2007 में रेलवे ने किसानों की जमीन को 25 लाख रुपये प्रति एकड़ में खरीदा था।
  • दोहरे मापदंड: मगर मामला तब फंसा जब पास के गांव में यही उतनी ही जमीन 75 लाख रुपये प्रति एकड़ से खरीदा गया।
  • कानूनी लड़ाई: इस दोहरे मापदंड के खिलाफ संपूर्ण सिंह अदालत में पहुंच गए। कोर्ट ने सुनवाई के बाद रेलवे को मुआवजे की रकम 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने का आदेश दिया, बाद में उसे बढ़ाकर 1.47 करोड़ रुपये कर दी गई।
  • ट्रेन को गारंटी: कोर्ट ने नार्थ रेलवे को आदेश दिया कि वो साल 2015 तक संपूर्ण सिंह को ये भुगतान करें। मगर रेलवे ने सिर्फ 42 लाख रुपये दिये थे, जबकि 1.05 करोड़ रुपये चुकाने में विफल रहा।
  • ट्रेन को कुर्क करना: ऐसे में संपूर्ण सिंह ने कोर्ट के आदेश के बाद स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को कुर्क कर लिया और तकनीकी रूप से उसका मालिकाना हक प्राप्त कर लिया।
  • ट्रेन को मुक्त करवाना: हालांकि, कुछ ही समय में सेक्शन इंजीनियर ने कोर्ट के अधिकारी के जरिए ट्रेन को पुनः मुक्त करवा लिया। यह मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है।

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क्यों है ये मामला खास?

  • एक आम आदमी की जीत: यह मामला इसलिए खास है क्योंकि एक आम किसान ने एक बड़ी संस्था जैसे रेलवे के खिलाफ जीत हासिल की।
  • न्यायपालिका की शक्ति: इस मामले ने न्यायपालिका की शक्ति को दिखाया कि कैसे कोई भी व्यक्ति न्याय के लिए लड़ सकता है।
  • सरकारी मशीनरी में खामियां: इस मामले ने सरकारी मशीनरी में मौजूद खामियों को भी उजागर किया।

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