देश में कई तरह की फसलों की खेती होती है और मटर न केवल एक स्वादिष्ट सब्जी है बल्कि यह पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। आपने बिल्कुल सही कहा कि मटर की खेती से कम समय में अधिक पैदावार मिलती है और यह भूमि की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाती है। पंत मटर 484 मटर की किस्म किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। 120 दिनों में तैयार होने वाली यह किस्म न केवल समय की बचत करती है बल्कि कई रोगों से भी मुक्त होती है। इससे किसानों को फसल नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी। तो आइये जानते है इसके बारे में. …
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पंत मटर 484 मटर किस्म
यह एक अगेती किस्म है, जिसका मतलब है कि यह अन्य किस्मों की तुलना में बहुत जल्दी तैयार हो जाती है। यह किस्म चूर्ण फफूंद और फली छेदक जैसे आम मटर के रोगों से प्रतिरोधी है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 23 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है। इस किस्म में 26% प्रोटीन होता है, जो इसे एक पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य बनाता है। यह किस्म सूखे की स्थिति में भी अच्छी पैदावार दे सकती है, जो इसे वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है। इसकी उच्च गुणवत्ता और अच्छी पैदावार के कारण इसकी बाजार में अच्छी मांग है।
मटर की खेती के बारे में
मटर की खेती की बात करे तो दोमट और बलुई मिट्टी ये मिट्टी प्रकार मटर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। इनमें पानी की निकासी अच्छी होती है और हवा का संचार भी बेहतर होता है। वही मिट्टी का पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए। अगर मिट्टी अम्लीय है तो उसमें चूना मिलाकर पीएच मान को बढ़ाया जा सकता है। बुवाई से पहले खेत को गहरी जुताई करनी चाहिए। इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और जड़ों का विकास अच्छे से होता है। अगर मिट्टी में दीमक, तना मक्खी और लीफ माइनर जैसी कीटों का प्रकोप है तो फोरेट 10 जी का छिड़काव करना लाभदायक होता है। इससे फसल को कीटों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
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