Sugarcane Farming अगर आप गन्ना की खेती करते हैं, तो साल 2024 में इन नई जानकारियों और तरक्कीबों को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। पिछले तीन सालों से गन्ना विभाग प्रगतिशील किसानों को सम्मानित कर रहा है. इन किसानों के प्रयोगों को अपनाकर आप भी अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। आइये जानते हैं गन्ना की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): गन्ना की फसल में सिंचाई का सही प्रबंधन बहुत जरूरी है. खरपतवार निकालने के बाद 12:32:16 @ 50 किग्रा, 25 किग्रा यूरिया, 4 किग्रा बायोबेटा दानेदार और 3 किग्रा सल्फर का मिश्रण तैयार कर प्रति एकड़ खेत में डालें.
बुवाई का सही समय (Right Time for Planting Sugarcane): उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान में गन्ना की बुवाई करने से अच्छी पैदावार मिलती है. मध्य और पश्चिम भारत में गन्ना की बुवाई का सबसे अच्छा समय 15 फरवरी से मार्च के अंत तक होता है. वहीं, उत्तर भारत में फरवरी-मार्च में वसंत गन्ने की बुवाई की जाती है. अक्टूबर से नवंबर के बीच गन्ना की बुवाई अधिक पैदावार के लिए उत्तम मानी जाती है. वसंत गन्ने की बुवाई 15 फरवरी से मार्च के अंत तक करनी चाहिए. गन्ने की देर से बुवाई अप्रैल से 16 मई के बीच की जाती है.
गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए क्या डालें (Nutrients for Sugarcane Growth): बुवाई के 80-90 दिन बाद या सिंचाई के 2-3 दिन बाद खेत में फिर से 15 किलो नाइट्रोजन डालें. गन्ने के अच्छे अंकुरण के लिए 150 लीटर पानी में 100 से 150 ग्राम देहात ग्रो प्रो का घोल बनाकर छिड़काव करें. यह मात्रा प्रति एकड़ जमीन के लिए है.
गन्ने की किस्मों का चुनाव (Selection of Sugarcane Varieties): इस समय मध्य, पश्चिम और उत्तर भारत में वसंत गन्ने की बुवाई होगी. इन क्षेत्रों के किसान गन्ना की खेती के लिए देर से पकने वाली किस्मों का चयन करें. अगर आप जल्दी और जल्दी पकने वाली गन्ने की किस्मों की बुवाई करना चाहते हैं तो आप कोसा 88230, 8436, 96268 और कोसा 98231 और कोसा 94536 किस्मों का चयन कर सकते हैं. जलभराव वाले क्षेत्रों के लिए किसानों को यूपी 9529, 9530 और कोसा 96436 किस्मों का चयन करना चाहिए. ये गन्ने की किस्में जलभराव की स्थिति को अच्छी तरह सहन करती हैं. जलभराव वाले क्षेत्रों में गन्ने की बुवाई मार्च-अप्रैल माह में ही करनी चाहिए.
यूरिया कब डालें (When to Apply Urea): सिंचाई से पहले, गैप फिलिंग करें और जड़ों के पास 90 किग्रा/हेक्टेयर नेट्रोजन (200 किग्रा यूरिया) का प्रयोग करें. फरवरी-मार्च में रखे गए धान के गन्नों में ब्लैक स्पॉट को नियंत्रित करने के लिए पत्तियों की संख्या के आधार पर 3 से 5 प्रतिशत यूरिया के घोल का 670 मिलीलीटर एंडोसल्फान 35 ईसी के साथ छिड़काव करें.