बिहार के बहुत सारे लोग बकरियों पालकर अच्छा खासा कमाई कर रहे हैं। ये एक ऐसा धंधा है जिसे कम पूंजी से भी शुरू किया जा सकता है। सरकार भी इस धंधे को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की मदद दे रही है।
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बेगूसराय की पूनम देवी ने कैसे शुरू किया बकरी पालन का धंधा
बेगूसराय की पूनम देवी के मन में बकरी पालन का विचार तब आया जब वो देखती थीं कि उनके गांव के लोग गायों-बैलों के साथ बकरियों का भी पालन करते हैं और इससे अच्छा खासा कमाई करते हैं। पूनम ने अपने पति अंगद सिंह को इस विचार के बारे में बताया और दोनों ने मिलकर बकरी पालन का धंधा शुरू करने का फैसला किया।
जीविक से लिया कर्ज और शुरू किया धंधा
पूनम और अंगद ने जीविक से 50 हजार रुपये का कर्ज लेकर 10 बकरियों के साथ अपना धंधा शुरू किया। उन्होंने बरबरी, झाकराना और तोतापरी नस्ल की बकरियां खरीदीं। उन्होंने इन बकरियों को आईवीएफ तकनीक से गर्भाधान करवाया ताकि इनसे ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा हों।
बकरियों की अच्छी नस्ल और अच्छी देखभाल
पूनम और अंगद ने अपनी बकरियों की बहुत अच्छी देखभाल की। उन्हें सूखा चना खिलाया और समय-समय पर पशु चिकित्सक से जांच करवाया। इन सबकी वजह से उनकी बकरियां बहुत मोटी और स्वस्थ हो गईं और बाजार में इनकी अच्छी कीमत मिलती थी।
महीने में दो-तीन बकरियां बेचकर कमाई
पूनम और अंगद हर महीने दो-तीन बकरियां बेचकर कमाई करते थे। एक बकरी का वजन के हिसाब से 500 से 700 रुपये किलो तक बिकता था। इस हिसाब से एक बकरी की कीमत 35,000 से 40,000 रुपये तक होती थी। इस तरह से उनका मासिक कमाई लगभग 50 हजार रुपये तक हो जाता था।
सरकारी मदद भी मिल रही है बकरी पालन के लिए
सरकार भी बकरी पालन के धंधे को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की मदद दे रही है। जीविक जैसे संस्थाएं किसानों को कर्ज दे रही हैं ताकि वे बकरी पालन शुरू कर सकें। सरकार का मानना है कि अगर लोग अपने गांव में ही कुछ धंधा शुरू करेंगे तो उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी और वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं।