किसान हो या व्यापारी इस फसल की खेती बना देगी अम्बानी झोला लेकर ढूंढते फिरते है लोग

तुरई की सब्ज़ी की खेती बहुत ही आसान होती है। चाहे आप नए किसान हों या पुराने, इसकी फसल बिना ज़्यादा देखभाल के भी अच्छा उत्पादन देती है। तुरई की मांग हमेशा बाज़ार में बनी रहती है, और दाम भी बढ़िया मिलते हैं। यही वजह है कि किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

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खेती की तैयारी और तरीका

तुरई की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह जुताई करें। उसके बाद मेड़ बनाकर बीज बो दें। बीज बोने के बाद जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएं, तो इन्हें सहारा देने के लिए मचान (scaffold) बना दें। इससे बेलें ऊपर चढ़ती हैं और फल जमीन से बचकर साफ-सुथरे निकलते हैं। तुरई की फसल 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है और हर 3-4 दिन में फल तोड़ने लायक मिलते हैं।

सही मौसम और दो बार फसल

इसकी खेती साल में दो बार की जा सकती है — एक बार जनवरी से मार्च के बीच और दूसरी बार जुलाई में। इसका मतलब है, साल में दो बार कम लागत में बढ़िया मुनाफा। ज़्यादा ध्यान नहीं भी दो, तब भी फसल खराब नहीं होती।

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लागत और मुनाफा का गणित

अगर आप एक बीघा ज़मीन में तुरई की खेती करते हैं, तो लगभग ₹6,000 से ₹7,000 का खर्च आता है। लेकिन इससे ₹80,000 से ₹90,000 तक की कमाई हो सकती है। अगर साल में दो बार खेती करें, तो ₹14,000 की लागत में करीब ₹1.8 लाख रुपये तक की कमाई संभव है। बस फसल अच्छी होनी चाहिए और मार्केट में डिमांड बनी रहनी चाहिए।

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