सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर,जीपीएफ के भुगतान पर स्पष्टीकरण जारी
केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) के भुगतान में होने वाली देरी और उस पर मिलने वाले ब्याज को लेकर नए नियम जारी किए हैं। 25 अक्टूबर को पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) द्वारा जारी इस निर्देश में GPF के भुगतान के हर चरण में समय की पाबंदी और देरी पर ब्याज की पात्रता के बारे में जानकारी दी गई है। यह अपडेट रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए खासा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें भुगतान में होने वाली देरी से संबंधित ब्याज देने के नियम स्पष्ट किए गए हैं।
GPF भुगतान पर देरी से जुड़े निर्देश
सरकारी नियमों के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों का GPF फंड बिना किसी रुकावट के तुरंत जारी होना चाहिए। सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियम, 1960 के नियम 34 के तहत, लेखा अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि रिटायरमेंट के दिन ही GPF का भुगतान हो। यह राशि रिटायर्ड कर्मचारी की संपत्ति मानी जाती है, और इस पर किसी अनुशासनात्मक कार्यवाही का असर नहीं होना चाहिए।
देरी पर ब्याज मिलने के नियम
रिटायर्ड कर्मचारी के GPF का भुगतान देरी से होने पर ब्याज देने का प्रावधान है। नियम 11(4) के अनुसार, अगर GPF की राशि का भुगतान रिटायरमेंट के समय नहीं किया गया, तो उस अवधि के लिए ब्याज मिलेगा। छह महीने तक की देरी पर वेतन और लेखा कार्यालय (PAO) खुद ब्याज मंजूर कर सकता है। लेकिन, अगर देरी छह महीने से ज्यादा की होती है तो लेखा अधिकारी के उच्च अधिकारी की मंजूरी लेनी पड़ेगी, और एक साल से ज्यादा की देरी पर तो वित्तीय सलाहकार की भी मंजूरी जरूरी होगी।
देरी रोकने के लिए जिम्मेदारी
यदि GPF के भुगतान में देरी होती है, तो इस मामले को संबंधित मंत्रालय या विभाग के सचिव को भेजा जाएगा ताकि ब्याज का अतिरिक्त खर्च न उठाना पड़े। सचिव की जिम्मेदारी होगी कि GPF का भुगतान समय पर हो और अनावश्यक ब्याज से बचा जा सके।
GPF क्या है?
GPF एक तरह का फंड है जिसमें सरकारी कर्मचारी अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा बचत के रूप में जमा करते हैं। इसमें कर्मचारी अपने वेतन का कम से कम 6% योगदान कर सकते हैं, और रिटायरमेंट पर उन्हें यह राशि एकमुश्त मिलती है। इसमें 7.1% का टैक्स-फ्री ब्याज मिलता है।