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पशुओं के लिए च्वनप्राश है ये चारा, दूध उत्पादन के लिए संजीवनी, जाने घर में उगाने का तरीका

पशुओं के लिए च्वनप्राश है ये चारा, दूध उत्पादन के लिए संजीवनी, जाने घर में उगाने का तरीका

अजोला एक जलीय फर्न (Aquatic Fern) है, जो पानी की सतह पर तैरता है। इसे एक प्रकार का जलीय पौधा भी कहा जाता है। भारत में अजोला पिन्नाटा प्रजाति मुख्य रूप से पाई जाती है। यह प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम और तांबे जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। हरे चारे की तुलना में इसमें पाँच गुना अधिक प्रोटीन होता है।

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दूध उत्पादन में वृद्धि

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि दूध देने वाले पशुओं को प्रतिदिन 2 से 2.5 किलो ताजा अजोला खिलाया जाए तो दूध उत्पादन में 15% तक वृद्धि हो सकती है। मुर्गियों को 10-20 ग्राम अजोला खिलाने से उनके वजन और अंडे देने की क्षमता में 10-15% तक वृद्धि देखी गई है। भेड़ और बकरियों को प्रतिदिन 100-200 ग्राम अजोला देने से उनके विकास और दूध उत्पादन में भी सुधार होता है।

खेतों में अजोला उत्पादन कैसे करें?

अजोला उगाने के लिए किसान खेतों में कच्चे बेड बनाकर पॉलीथिन शीट से ढक सकते हैं। बेड में 10 किलो छनी हुई मिट्टी और 2 किलो गोबर खाद मिलाकर फैलाएं। इसके बाद बेड में पानी भर दें। हर महीने 20 ग्राम सुपरफॉस्फेट और 5 किलो गोबर का घोल डालें। पानी की उचित मात्रा बनाए रखना आवश्यक है और बेड पर सीधी धूप नहीं पड़नी चाहिए, इसके लिए छाया की व्यवस्था करें।

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पशुपालकों की जरूरत बना अजोला

आज के समय में अजोला पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यह न केवल दूध उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि इसका उपयोग मुर्गियों और अन्य जानवरों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। यह सस्ता, सरल और अत्यधिक लाभदायक चारा है, जो पशुपालकों के खर्च को भी कम करता है।

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